फतेहाबाद, 5 अगस्त (जन सरोकार ब्यूरो) : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने से भजनलाल परिवार की अगली पीढ़ी के सियासी सफर के आगाज में आसानी होगी। कुलदीप बिश्नोई के पुत्र भव्य बिश्नोई की नई सियासी पारी की कामयाबी के साथ शुरूआत हो सकती है। संभावना जताई जा रही है पिता कुलदीप के इस्तीफे से खाली हुई आदमपुर सीट के उपचुनाव में भव्य भाजपा के उम्मीदवार होंगे। माना जा रहा है कि भजनलाल परिवार के इस परंपरागत सीट पर भव्य बिश्नोई को कामयाबी मिलने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट प्रदेश की कुछ हॉट सीटों में शुमार है।आदमपुर विधानसभा सीट पर अब तक कुल 13 सामान्य जबकि तीन उपचुनाव हुए। 1968 से लेकर लगातार चौधरी भजनलाल परिवार यहां से चुनाव जीतता रहा है। खुद चौधरी भजनलाल 9 बार आदमपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। चार बार कुलदीप बिश्नोई तो एक-एक बार चौधरी भजन लाल की पत्नी जसमा देवी और पुत्रवधू रेणुका बिश्नोई विधायक रह चुकी हैं। विशेष बात यह है कि आदमपुर विधानसभा सीट पर अब तक तीन उपचुनाव हुए हैं और रोचक पहलू यह है कि खुद कुलदीप बिश्नोई और उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई आदमपुर विधानसभा में उपचुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य भी बने। खुद चौधरी भजनलाल भी साल 2008 में आदमपुर विधानसभा में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं। दरअसल आदमपुर विधानसभा क्षेत्र में पहला उपचुनाव साल 1998 में हुआ। भव्य बिश्रोई बनना तो क्रिकेटर चाहते थे, पर उन्हें सियासत में आना पड़ा। लंदन में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्होंने क्रिकेट में कई कमाल किए। यूनिवर्सिटी की ओर से खेलते हुए लाजवाब और बाकमाल प्रदर्शन किया। भव्य का छोटा भाई चैतन्य प्रोफेशनल क्रिकेटर हैं। चैतन्य आईपीएल में चैन्नई सुपर ङ्क्षकग के अलावा हरियाणा की रणजी टीम का हिस्सा रहे हैं। भव्य की बहन सिया प्रोफेशनल डिजाइनर हैं। भव्य को अपने दादा की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने के लिए राजनीति में आना पड़ा। विदेश से लौटने के बाद भव्य ने राजनीति में कदम रखा। गलोबल सिटीजन इंडिया संस्था का गठन किया। इसके साथ ही उन्होंने भजनलाल लाल गलोबल इम्पैक्ट फाऊंडेशन का गठन किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में हिसार से चुनाव लड़ा।
जब उपचुनावों के जरिए पहली बार बने विधायक
चौधरी भजनलाल ने अपने दोनों बेटों चंद्रमोहन बिश्रोई और कुलदीप बिश्रोई दोनों को ही उपचुनावों के जरिए सियासत में एंट्री करवाई थी। 1993 में कालका से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक पुरुषभान के निधन के बाद यहां पर उपचुनाव हुआ। चौधरी भजनलाल उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। भजनलाल ने अपने बड़े बेटे चंद्रमोहन को उपचुनावी मैदान में उतारा। चंद्रमोहन ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की और उसके बाद उन्होंने कालका को ही अपनी कर्मभूमि बना लिया। इसके बाद चंद्रमोहन 1996, 2000 और 2005 में लगातार यहां से विधायक चुने गए। इसी तरह से साल 1998 में कांग्रेस हाईकमान ने चौधरी भजनलाल को राज्यसभा का सदस्य बनाते हुए केंद्र में मंत्री बना दिया। ऐेसे में भजनलाल को आदमपुर विधानसभा सीट से त्यागपत्र देना पड़ा। आदमपुर में उपचुनाव हुआ। भजनलाल ने इस उपचुनाव में अपने छोटे बेटे कुलदीप बिश्रोई को उतारा। तीस साल के कुलदीप ने भी बड़े अंतर से जीत दर्ज की और वे पहली बार उपचुनाव जीतकर विधायक बने। इसी प्रकार से साल 2011 में चौधरी भजनलाल के निधन के बाद हिसार लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। आदमपुर सीट से त्यागपत्र देने के बाद कुलदीप ने हिसार से उपचुनाव लड़ा और इनैलो के डा. अजय ङ्क्षसह चौटाला को पराजित किया। ऐसे में आदमपुर में उपचुनाव हुआ। कुलदीप ने अपनी पत्नी रेणुका बिश्रोई की राजनीति में एंट्री करवाई और 2011 में रेणुका आदमपुर से विधायक चुनी गईं। अब भव्य को उपचुनाव के मैदान में उतारने की तैयारी है।
कुलदीप का इस्तीफा: क्या दादा, पिता और मां के बाद भव्य जितेंगे आदमपुर की जंग!
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