भजनलाल के होते हुए सत्ता में नहीं थे तब भी होते थे लोगों के छोटे-मोटे काम, लेकिन उनके जाने के बाद ना काम हुए ना ही कुलदीप ने कभी सत्ता से कुछ मांगा।

जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर।
उपचुनाव में कल यानि बुधवार से चुनाव प्रचार जोर पकड़ जाएगा तथा सभी पार्टियों के स्टार प्रचारक चुनाव मैदान में उतर जाएंगे। इस उपचुनाव में भजनलाल परिवार सत्ता में हिस्सेदारी करने और विकास में आदमपुर को अव्वल बनाने की बात कहकर भव्य बिश्नोई के लिए वोट मांग रहा है। इतना ही नहीं, भव्य बिश्नोई को दूसरा भजनलाल भी बताया जा रहा है। लेकिन आदमपुर की जनता के जो सवाल हैं उनका जवाब ना ही कुलदीप देने को तैयार हैं और ना ही उनके परिवार का कोई सदस्य। पिछले 54 साल से भजनलाल परिवार को हर बार विधानसभा भेज रही आदमपुर की जनता कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे से पूछती है कि उन्होंने चौधरी भजनलाल के जाने के बाद हलके लिए क्या किया, जो वे भजनलाल की तीसरी पीढ़ी को भी विधानसभा में भेजें। राजनीति के जानकारों का कहना है कि आदमपुर के लिए बड़े अफसोस की बात है कि कुलदीप बिश्नोई के पास आदमपुर की जनता के इस महत्वपूर्ण सवाल का जवाब नहीं है। सिवाए पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा आदमपुर के लिए मंजूर किए गए कुछ विकास कार्यों के कुलदीप के पास बताने के लिए दूसरा कोई काम नहीं है जो चौधरी भजनलाल के जाने के बाद आदमपुर विधानसभा के किसी भी कोने में उन्होंने किया हो। ऐसे में, राजनीति के जानकारों का मानना है कि आदमपुर की जनता इस बार हर चुनाव की तरह आंखें बंद कर भजनलाल परिवार को सिर्फ भजनलाल के नाम पर वोट नहीं देने वाली।
भजनलाल के समय होते रहे लोगों के काम
1996 में भजनलाल के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद दोबारा कांग्रेस की सरकार उनके ही नेतृत्व में 2005 में बनी थी लेकिन पार्टी ने उन्हें सीएम नहीं बनाया तो उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर लिया। इसके बाद चौधरी भजनलाल 2011 तक जीवित रहे। आदमपुर के लोग बताते हैं कि सत्ता में हिस्सेदारी नहीं होने के बाद भी जब वे किसी छोटे-मोटे काम के लिए चौधरी भजनलाल के पास जाते थे तो भजनलाल उन्हें कोठी पर ना सिर्फ मिलते थे बल्कि उनके कहे हुए काम भी होते थे।
ना कुलदीप से लोगों से मिले, ना हुए काम
आदमपुर के लोग खासकर युवा वर्ग का कहना है कि कुलदीप बिश्नोई का लोगों से मिलने का सिस्टम ऐसा है कि उनसे मिलने के लिए पहले उनके आसपास वाले लोगों से मिलना पड़ता है, इसके बाद कहीं जाकर कुलदीप से मुलाकात हो पाती है। इतना ही नहीं, लोगों को शिकायत है कि कुलदीप बिश्नोई का फोन अधिकतर समय तो बंद ही रहता है और यदि खुला भी होता है तो फोन उठता नहीं है। आदमपुर के लोग बताते हैं कि कुलदीप बिश्नोई ने चौधरी भजनलाल के जाने के बाद ना ही तो कभी आकर उनकी समस्याएं सुनी और ना ही विधानसभा में उनकी आवाज उठाई। विकास के मामले में काफी ज्यादा पिछड़ चुके आदमपुर के लोगों की कुलदीप से यह नाराजगी उन्हें आने वाली 3 नवंबर को कितनी भारी पड़ने वाली है इसका अंदाजा शायद कुलदीप बिश्नोई को भी नहीं है।