वर्षों से भजनलाल परिवार को वोट दे रहे कई लोग खुलकर नहीं कर रहे विरोध, लेकिन विपक्ष में वोट डालने का बना चुके हैं मन, यह जब वोटों के रूप में तबदील होगा तो नुकसान कितना होगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं!
जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर। इस उपचुनाव में भजनलाल परिवार या यूं कहें की कुलदीप बिश्नोई के सामने कुछ सवाल और स्थितियां ऐसी आ रही हैं जो इससे पहले आदमपुर विधानसभा में उन्होंने कभी फेस नहीं की। वहीं, दूसरी तरफ कुलदीप बिश्नोई का यह कहना कि इस चुनाव में जो माहौल है ऐसा उन्होंने कभी ‘चौधरी साहब’ यानि भजनलाल के समय भी नहीं देखा। कुलदीप बिश्नोई का इस प्रकार के इस बयान की यदि धरातल पर जाकर समीक्षा की जाए तो हालात कुछ और ही कह रहे हैंं। कुलदीप के बेटे भव्य की लगातार कमजोर हो रही स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्षों से जिन गांवों में भजनलाल परिवार एकमुश्त वोट लेता रहा है, उन गांवों में कई लोग आज खुलकर विरोध तो कर ही रहे हैं, साथ कुछ परिवार ऐसे हैं जो इस परिवार को वोट नहीं देने का मन बना चुके हैं। हैरत की बता तो यह है कि बेटे की जीत को लेकर ओवर कॉन्फिडेंट कुलदीप ऐसे परिवारों को मनाने की तरफ ध्यान भी नहीं दे रहे हैं। खुद को मजबूत मानने वाले गांवों में 3 नवंबर को जो भितरघात होने वाली है, आज ना ही तो उसको लेकर भजनलाल परिवार में कोई चिंतित नजर आता है और ना ही कोई इसकी परवाह करता दिखाई देता है।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि धरातल पर कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को जिस भितरघात का सामना करना पड़ेगा, इसके कारणों पर यदि नजर डाली जाए तो कुछ बड़े और महत्वपूर्ण कारण स्पष्ट हैं कि खुद को सीएम प्रोजेक्ट कर वोट मांगने वाले कुलदीप बिश्नोई ने सही मायने में कभी चाहा ही नहीं कि आदमपुर में विकास और लोगों को सुविधाएं मिलें। हर बार लोगों को सिर्फ विकास के सपने ही दिखाए गए, ऐसा कभी नहीं हुआ कि विपक्ष में रहते हुए कुलदीप बिश्नोई या उनके परिवार के किसी सदस्य ने आदमपुर के विकास के लिए कोई शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली या पानी से जुड़ा हुआ भी कोई प्रोजेक्ट मांगा हो। हलके में उद्योग स्थापित करवाना तो दूर की बात रही। वहीं इसका दूसरा कारण यह भी है कि कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस छोड़कर जिस पार्टी में गए हैं उसकी सरकार को प्रदेश में आज ही 8 साल पूरे हुए हैं। लेकिन इन 8 सालों में सरकार ने भी ऐसा कोई बड़ा काम आदमपुर में नहीं किया जिसके नाम पर वोट मांगे जा सकें। हां, लेकिन एक बात जरूर है कि सोनाली फौगाट के आदमपुर में आने, यहां से चुनाव लड़ने और चुनाव हारने के बाद भी लोगों के बीच आने जाने ने लोगों को खास प्रभावित किया था। इतना ही नहीं, सोनाली फौगाट लोगों के छोटे-मोटे काम भी करवाती थीं। लेकिन कुलदीप बिश्नोई के पास आज भी यदि लोगों से वोट मांगने का कोई कारण है तो वो है सिर्फ चौधरी भजनलाल का नाम। अब देखना है कि चौधरी भजनलाल और उनके करवाये कामों तथा कुलदीप को सीएम बनाने के नाम पर वोट डालती आई आदमपुर की जनता 3 नवंबर को क्या जनादेश देती है। ऐसे में, तब जब लोग कुलदीप बिश्नोई और उनके द्वारा लिए गए फैसलों से बेहद खफा हैं।