Friday, April 4, 2025
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अपने गुण को निखारना और उससे जीवन को सुंदर बनाना ही व्यक्तित्व : दीप्ति धर्मानी

एमएम कॉलेज द्वारा ‘विद्यार्थी जीवन में व्यक्तित्व का महत्व’ को लेकर ऑनलाईन वेबिनार आयोजित

फतेहाबाद। मनोहर मैमोरियल स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा ‘विद्यार्थी जीवन में पर्सनेलिटी डिवेलप्मेंट का महत्व’ को लेकर ऑनलाईन वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य महामारी के समय में विद्यार्थी कैसे घर बैठे हुए भी अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं और कैसे उसे मजबूत बना सकते हैं, रहा। वेबिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रो. दीप्ति धर्मानी, सीडीएलयू सिरसा व मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. जितेंद्र बत्रा ने भाग लिया और विद्यार्थियों को व्यक्तित्व को निखारने ओर मजबूत बनाने के नए-नए तरीकों के बारे विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे विद्यार्थियों को इस कोरोना काल में अवसाद से बचने के लिए नई-नई हाबीज डेवेलप करनी चाहिए और कैसे अपने आस-पास के लोगों को इस बीमारी कि बारे में जागरुक कर सकते हैं। इस वेबिनार में 750 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया। कॉलेज प्राचार्य डॉ. गुरचरण दास ने आए हुए वेबिनार में शामिल वक्ताओं का स्वागत किया।

‘पर्सनेलिटी कोई बाहरी दिखाने की चीज नहीं’

वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रो. दीप्ति धर्मानी ने कहा कि आज हम हम बेहतर जिंदगी जीना चाहते हैं। युवा जब अपनी जिंदगी को बनाने चलते हैं लेकिन अपना रोल मॉडल चुनते समय गलती कर बैठे हैं और यही कदम हमारे पूरी जिंदगी को एक अलग दिशा में ले जाता है। उन्होंने कहा कि पर्सनेलिटी कोई बाहरी दिखाने की चीज नहीं है। अगर यह बाहरी दिखावे की चीज होती तो गांधी जी पूरी दुनिया में इतने फेमस नहीं होते। वे सिर्फ लंगोटी डालकर देश को आजाद करवाने निकले थे। स्वामी विवेकानंद ने वल्र्ड कान्फ्रेंस में अपने दो शब्दों ‘भाईयों और बहनों’ ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जब पैदा होते हैं तो विशेष गुण लेकर पैदा होता है। उस गुण को निखारना, संवारना और उस गुण से अपने जीवन को सुंदर बनाना ही व्यक्तित्व है। उन्होंने कहा कि अपने शब्दों से किसी को मोह लेने का गुण अचानक नहीं होता, इसके लिए हमें अभ्यस्त होना पड़ता है। जब ये गुण आपके अंर्तमन का हिस्सा हो जाए, तब आपका व्यक्तित्व निखर कर बाहर आता है। हम दूसरों के लिए कैसे रोल मॉडल बन सकते हैं, यह समझना जरूरी है। अगर हम जीवन की 16 कलाओं में से एक कला को भी सिद्ध कर लेते हैं तो हमारा जीवन सार्थक हो सकता है। हमें भाषा को संभलकर, सुंदर और मीठा बोलना चाहिए। मीठा बोलने वाला व्यक्ति हमेशा मिठास देता है। हमें बिना फल की चिंता किए हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए।

‘जब तक सफल न हो तुम, नींद-चैन को त्यागो, संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो’

डॉ. जितेन्द्र बत्रा ने व्यक्तित्व विकास पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। जब तक सफल न हो तुम, नींद-चैन को त्यागो, संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो। कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
प्राचार्य डॉ. गुरचरण दास ने वेबिनार के सफल आयोजन के लिए विभाग के सभी सदस्यों को बधाई दी और कोविड काल में सुरक्षित रहने के लिए सचेत किया। उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व विकास आज के युग में बहुत महत्वपूर्ण है। व्यक्तित्व विकास का अर्थ महंगे कपड़े, महंगा फोन रखना नहीं बल्कि अपने गुरूजनों, अभिभावकों का सम्मान करना, अपनी जिम्मेवारियों को बेहतर तरीके से निभाना भी व्यक्तित्व विकास का हिस्सा है। इस वेबिनार में मंच संचालन की भूमिका डॉ. भव्या मुखी ने निभाई और विभागाध्यक्ष कैप्टन देवेंद्र गेरा ने वेबिनार में भाग लेने वाले वक्ताओं, विद्यार्थियों व स्टाफ सदस्यों का धन्यवाद किया। वेबिनार में डॉ. रोबिन आनन्द, विनोद कुमार, किंजा चौधरी, प्रियंका, शिल्पा, खुशबू, स्वाति, अदिति, तान्या, डॉ. विकेश सेठी सहित अनेक स्टाफ सदस्यों ने भी भाग लिया।

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