Saturday, April 12, 2025
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प्रदेश में बरसात ने मचाई भारी तबाही

औसत से 20 से 150 प्रतिशत अधिक बरसात
फतेहाबाद, सिरसा, कुरुक्षेत्र, रोहतक, करनाल में बरसात ने तोड़े रिकॉर्ड

-नरमा, सब्जियों की फसल खराब, मुआवजे की मांग

फतेहाबाद, 31 जुलाई (जनसरोकार एक्सक्लूसिव): हरियाणा में इस बार बरसात ने भयंकर तबाही मचा दी है। प्रदेश के 22 में से 19 जिलों में औसत से 20 से 150 प्रतिशत अधिक बरसात हुई है। बरसात के चलते अलग-अलग इलाकों में कई मकानों की छतों के गिरने के अलावा फसलों को नुक्सान पहुंचा है। सबसे अधिक नरमा की फसल को नुक्सान हुआ है। इस बार प्रदेश में साढ़े 6 लाख हैक्टेयर में नरमा की फसल जबकि साढ़े 12 लाख हैक्टेयर में धान की फसल है। प्रदेश के 13 जिलों में नरमा की फसल होती है और 30 से 40 प्रतिशत फसल खराब हो गई है। अनेक हिस्सों में किसानों ने अपनी नरमा की फसल को ट्रैक्टर के जरिए उखाड़ दिया है, ताकि धान बोआ जा सके। किसानों ने प्रदेश सरकार से विशेष गिरदावरी करवाकर मुआवजे की मांग की है।


दरअसल इस बार प्रदेश में मानसून बहुत अधिक प्रभावी है। प्रदेश के कई हिस्सों में पिछले चार दिन से बरसात का सिलसिला जारी है। भारी बरसात के चलते शहरों-कस्बों में जलभराव हो गया है तो सबसे अधिक मार किसानों को झेलनी पड़ रही है। भारतीय मौसम विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार प्रदेश में 1 जुलाई से 31 जुलाई तक औसत से 20 प्रतिशत से 150 प्रतिशत तक अधिक बरसात हरियाणा के विभिन्न जिलों में हुई है। अंबाला, यमुनानगर और फरीदाबाद जिलों को छोडक़र शेष जिलों में औसत से अधिक बरसात हुई है। फतेहाबाद में औसत से 127, सिरसा में 59, जींद में 64, कैथल में 101 प्रतिशत अधिक बरसात एक माह की अवधि में दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार पिछले एक माह में भिवानी में 152 मिलीमीटर, चरखी दादरी में 241, महेंदगढ़ में 240, रेवाड़ी में 219, गुरुग्राम में 246, नुंह में 235, फतेहाबाद में 291, हिसार में 221, कैथल में 262, हिसार में 221, कुरुक्षेत्र में 362, करनाल में 352, पलवल में 245, फरीदाबाद में 115, झज्जर में 309, रोहतक में 306, सोनीपत में 214, पानीपत में 332, अंबाला में 250, यमुनानगर में 303 और जींद में 211 एमएम बरसात दर्ज की गई है। फतेहाबाद, सिरसा, कुरुक्षेत्र, रोहतक, करनाल में तो बरसात ने पिछले दो दशक के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारी बरसात के चलते प्रदेश के कई सेमनालों के अलावा बरसाती नदी घज्घर उफान पर है। कई ड्रेन, सेमनालों के टूटने का खतरा बना हुआ है। इन नालों में पानी ओवरफ्लो है। मौसम विभाग की ओर से चार अगस्त तक प्रदेश में येलो अलर्ट जारी किया गया है। चिंता की बात ये है कि मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद सरकार और प्रशासन ने एहतियात के तौर पर प्रबंध नहीं किए हैं। इस सारी स्थिति में एक बार फिर से प्रदेश का जलदाय विभाग, स्थानीय निकास विभाग और खासकर आपदा प्रबंधन विभाग पंगू साबित हुआ है।

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