हरियाणा के पूर्व गृह और वित्त मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह ने रविवार को अपने कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई है। यह मीटिंग हिसार के आजाद नगर के कम्युनिटी सेंटर में तय की गई है। प्रोफेसर संपत सिंह का कांग्रेस में जाना तय है, क्योंकि जिस दिन कुलदीप बिश्नोई भाजपा में शामिल हुए, उसी शाम को पूर्व मंत्री ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी।
रविवार को पार्टी हाईकमान उनके शामिल होने की डेट की घोषणा करेगा और इसी हफ्ते में कांग्रेस पार्टी उन्हें शामिल करेगी। इसलिए संपत सिंह ने अपने कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई है। संपत सिंह के कांग्रेस में शामिल होने पर एक बात स्पष्ट हो रही है कि कुलदीप बिश्नोई के परिवार को उपचुनाव में चुनौती देने के लिए संपत सिंह या उनका बेटे को कांग्रेस में चुनाव मैदान में उतारेगी।
कुलदीप के कारण छोड़ी थी कांग्रेस
पूर्व वित्त मंत्री संपत सिंह ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनावों में कुलदीप ने मेरी टिकट कटवाई थी, इसलिए मैं भाजपा में चला गया। भाजपा में सीएम और पीएम के साथ मेरे अच्छे संबंध रहे, लेकिन मैं किसान आंदोलन के कारण भाजपा से किनारा कर गया। संपत सिंह ने कहा कि 2009 में इनेलो पार्टी छोड़ दी। मुझे हिसार लोकसभा में मई 2009 के हिसार लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उतारा। मुकाबला भजन लाल से था। भजन लाल से मैं 6 हजार वोटों से हारा। संपत सिंह ने कहा कि पार्टी ही हरकत की वजह से मैंने इनेलो छोड़ी थी। अक्टूबर 2009 में नलवा विधानसभा चुनाव से चौधरी भजन लाल की पत्नी जसमा देवी को हराया।
छह बार रहे हैं विधायक
चौधरी देवीलाल की राजनीतिक नर्सरी की पौध संपत्त सिंह को ताऊ देवीलाल के राजनीतिक सचिव रहने के अलावा 1990 से 1991 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में साल 2000 में 2004 से लेकर वित्त मंत्री भी रहे। 1977 से लेकर 1979 तक वे चौधरी देवीलाल के राजनीतिक सचिव रहे। 1980 में भट्टू हलका से चुनाव लड़ा और करीब 9 हजार वोटों से हार गए। 1982 में उन्हें लोकदल का टिकट नहीं मिला। देवीलाल ने इस चुनाव में संपत्त सिंह को आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़वाया और वे आजाद उम्मीदवार के रूप में ही विधायक बन गए। इसके बाद 1987, 1991, 1996, 2000 और 2009 में विधायक रहे। साल 2009 में हिसार लोकसभा सीट से इनैलो की टिकट पर चुनाव लड़ा। चुनाव में चौधरी भजनलाल से हार गए। 2009 में ही इनैलो के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए संपत्त सिंह ने संसदीय चुनाव के नतीजों के बाद इनैलो को छोड़ दिया और कांगे्रस में आ गए। संपत्त सिंह ने 2009 के विधानसभा चुनाव में नलवा सीट से हजकां की जसमां देवी को पराजित किया। 2014 में वे नलवा से इनैलो के रणबीर गंगवा से हार गए, जबकि 2019 में उन्हें कांग्रेस ने टिकट ही नहीं दिया। संपत्त सिंह साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। संपत्त सिंह हरियाणा के अनुभवी राजनेता हैं। इनैलो में उन्हें थिंक टैंक के नाम से जाना जाता था। यही वजह है कि इनैलो की सरकार में ओमप्रकाश चौटाला के बाद संपत्त सिंह ही सबसे वरिष्ठ मंत्री रहे। भाजपा में फिलहाल वे हाशिए पर ही रहे। जब संपत्त सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए तो राजनीतिक पर्यवेक्षकों के यह कयास थे कि भाजपा इस नेता को कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी। पर ऐसा नहीं हुआ और उन्हें कोई पद नहीं दिया गया। जून 2021 जब भाजपा की कार्यकारिणी के सदस्य बनने की बात आई तो संपत्त सिंह ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने एक चिठ्ठी के जरिए अपनी खामोशी तोड़ी थी।