asd
Friday, November 22, 2024
Dg Rocket- A Complete Digital Marketing Solution
HomeGoverment-Politicsकोई कुछ कहे, सच ये कि बड़ा मुश्किल होता है 'अहंकार' को...

कोई कुछ कहे, सच ये कि बड़ा मुश्किल होता है ‘अहंकार’ को बर्दाश्त करना!

ऐलनाबाद उपचुनाव में सरकार की साख दांव पर नहीं लगी है, कांग्रेस के पास फिलहाल ज्यादा कुछ खोने को है नहीं और इनेलो के पास तो न खोने के लिए कुछ है और न ही पाने के लिए…पर गोबिंद कांडा के लिए जीतना उतना ही जरुरी है, जितना किसी को जीने के लिए सांस!!!

Ellenabad By Election Exclusive


ऐलनाबाद। बहुत बार घटता किसी का कुछ नहीं है और बढ़ किसी का इतना कुछ जाता है कि सोचा उसने भी नहीं होता। यह बात बीजेपी और गोबिंद कांडा पर खरी उतरती है। ऐलनाबाद उपचुनाव में बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल जो पहलू है, वह यह है कि ऐलनाबाद में अब तक जो चुनावी स्थितियां रही हैं, वह डर के साये में रही हैं। डर यानि, औमप्रकाश चौटाला, डर यानि, अभय सिंह चौटाला। डर यानि, पवन बैनीवाल। डर यानि, भरत सिंह बैनीवाल।


संभवत: यह पहली बार है कि सत्तासीन पार्टी किन्हीं भी व्यक्ति विशेष के खौफ को खत्म करने पर आमादा है। किसी के फार्म हाउस पर किसी को ‘कूटा’ न जाए, किसी की ढाणियों में ‘चले हुए कारतूसों’ के ढेर न मिलें और किसी के पास वह ‘पर्चियां’ न मिलें, जिन पर आम आदमी की कब्जा ली गई प्रोपर्टी की डिटेल लिखी हो…कौन है ऐसा? ऐलनाबाद हमेशा से एक ऐसे इलाके के रूप में जाना गया है जहां सत्ता की नहीं चलती, जहां दबंगों की चलती है।


बीजेपी के साथ सबसे बड़ा जो संकट है, वह यह कि उसका ऐलनाबाद से जो केंडीडेट है, उसका ‘खाता-बही’ अच्छी नहीं है। इसके साथ ही, बीजेपी के लिए अच्छी बात यह है कि उसके सामने चुनाव लड़ रहे लोगों की फितरत और उनके इतिहास को ऐलनाबाद का एक-एक आदमी इतनी शिद्दत से जानता है कि उनकी ‘कारस्तानियां’ कोई लिखने बैठे तो उम्र कम पड़े।


ऐलनाबाद के वोटर को आज जितनी असंमजस के हालात से गुजरना पड़ रहा है, वैसा शायद पहले कभी नहीं रहा। क्योंकि, दो ‘बुरे लोगों’ में से एक का चुनाव करना थोड़ा आसान होता है, बजाए तीन में से चुनना। इस बार ऐलनाबाद का विधायक बनने की चाह रखने वाले तीन लोग हैं। फिलहाल तीनों ही इस पॉजिशन में भी हैं कि कम किसी को कोई आंक नहीं सकता।


पूर्व मुख्यमंत्री औमप्रकाश चौटाला और उनकी ‘बची-खुची’ सियासत के वारिस अभय चौटाला ने इतने दशक ऐलनाबाद पर ‘राज’ कर लिया है कि उन्हें लगता है कि यह सीट तो उनकी ‘बपौती’ ही है। बेशक, आंकड़े भी इसी बात की हामी भर रहे हैं। लेकिन, हालात इस बार बदले हुए दिख रहे हैं। लोगों को ‘अहंकार’ अब अखरने लगा है। बकवास बर्दाश्त नहीं हो रही है। ‘चौधराहट’ के नशे में आदमी को आदमी न समझने की दशकों से चलती आ रही ‘कहानियां’ अबकी बार आम आदमी की जुबान पर चढ़ चुकी हैं।


बहरहाल, ऐलनाबाद का मिजाज इस बार बहुत ही ज्यादा अलग दिख रहा है। किस पार्टी का कौन बड़ा नेता ऐलनाबाद में आ कर सिर्फ भाषण करता है या आत्मीयता से ठोस वादा करता है, ऐलनाबाद इसी इंतजार में है। हालांकि, यहां यह ध्यान रहे कि ऐलनाबाद को मुखर होने की आदत कभी डलने ही नहीं दी गई। जो मिला, उसमें सब्र करो और शांति से जीना है तो सिर झुकाओ… यह इस इलाके की किस्मत में कुछ लोगों ने लिख रखा है। देखना दिलचस्प होगा कि किस्मत और गढ़ पब्लिक बनाएगी या नेता!!!

RK Sethi
RK Sethi
Editor, Daily Jan Sarokar 📞98131-94910
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Dg Rocket- A Complete Digital Marketing Solution

Most Popular

Recent Comments