2014 में दुष्यंत चौटाला से खुद हारने और 2019 में बेटे भव्य के लोकसभा हारने के बाद कुलदीप बिश्नोई ने हिसार और आदमपुर की जनता को ठहराया था दोषी, पहले दिल्ली जाकर बैठ गए, दूसरी बार आदमपुर में माइक छोड़ चले गए थे, अब फिर मांग रहे समर्थन

जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर।
राजनीतिक के थिंक टैंक शुरू से ही कुलदीप बिश्नोई को गुस्सैल और “जल्दबाजी” वाला राजनेता मानते हैं, जो सही समय पर सही निर्णय कभी कर ही नहीं पाए। इतना ही नहीं खुद के गलत फैसलों के कारण हारे हुए चुनावों के लिए भी कुलदीप बिश्नोई ने जनता को ही दोषी ठहराया है। कुलदीप इस प्रकार के अब तक दो उदाहरण पेश कर चुके हैं, जिनमें उनकी राजनीतिक नासमझी लोगों ने साफ तौर पर देखी। ये तो आदमपुर की जनता ही है जो “चौधरी साहब” की इतनी इज्जत करती है कि कुलदीप बिश्नोई पर फिर भरोसा कर लेती है। लेकिन इस बार के उपचुनाव में समीकरण कुछ अलग तरह के बन रहे हैं तथा लोग कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस छोड़ने के निर्णय को आदमपुर के भले से अधिक उनके निजी स्वार्थ से जुड़ा हुआ मान रहे हैं तथा उन बातों को भी याद कर रहे हैं जो कभी कुलदीप बिश्नोई ने खुद की गलती से हारे हुए चुनाव के बाद जनता को कही थी।
अब बात करते हैं साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की जब कुलदीप बिश्नोई हिसार लोकसभा से ना सिर्फ भाजपा- हजकां गठबंधन के उम्मीदवार थे बल्कि खुद को हरियाणा के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर भी पेश कर रहे थे। इस चुनाव में उनका मुकाबला चौधरी देवीलाल के पड़पोते और इस समय प्रदेश के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से था। इस चुनाव में कुलदीप बिश्नोई ने कहा था कि यदि वे लोकसभा का चुनाव हारे तो राजनीति छोड़ देंगे। जब नतीजे आए तो हुआ ये की कुलदीप बिश्नोई 32 हजार के करीब वोटों से चुनाव हार गए और केंद्र में भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत से बन गई। हार से बौखलाए कुलदीप लोगों से मिले बिना ही दिल्ली जाकर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई विधायक या एमपी बनने की नहीं, बल्कि सीएम बनने की थी लेकिन लोगों ने उन्हें हराकर गलत किया है। इसके बाद आदमपुर और हिसार के लोग कुलदीप को मनाने के लिए कई बार दिल्ली गए और मनाकर लाए और राजनीति करने के लिए भी कहा।
अब बात आती है कि लोकसभा आमचुनाव की, जिसके कुलदीप के बेटे भव्य कांग्रेस से चुनाव लड़े और बृजेंद्र सिंह और दुष्यंत के साथ हुए मुकाबले में उनकी हिसार लोकसभा से ना सिर्फ जमानत जब्त हुई बल्कि आदमपुर विधानसभा से वे करीब 24 हजार वोटों से हार गए। बेटे की हार से आग बबूला हुए कुलदीप आदमपुर अनाज मंडी स्थित अपनी दुकान पर पहुंचे और लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आदमपुर से उन्हें ये उम्मीद नहीं थी, अब देख लेना बृजेंद्र और मोदी आपके सुख-दुख में कितना आ जाएंगे, ये कहते हुए कुलदीप माइक छोड़कर भी चले गए थे। लेकिन कहते हैं कि वक्त बलवान होता है। अब वही कुलदीप और भव्य बिश्नोई उसी आदमपुर की जनता से समर्थन मांगने के लिए घर-घर जा रहे हैं और उन्हें अपना परिवार बता रहे हैं। अब देखना है कि इतिहास की गहरी जानकार मानी जाने वाली आदमपुर की बुद्धिमान जनता आगामी 3 तारीख को क्या फैसला सुनाती है।