फतेहाबाद, 5 अगस्त (जन सरोकार ब्यूरो): हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर पर पिछलीे 24 साल में तीन उपचुनाव हो चुके हैं जबकि 2014 से लेकर अब तक भाजपा के शासनकाल में चार तीन उपचुनाव हो चुके हैं। भाजपा के पहले कार्यकाल में जींद में जनवरी 2019 में उपचुनाव हुआ। इसके बाद नवंबर 2020 में बरौदा में जबकि पिछले साल अक्तूबर में ऐलनाबाद में उपचुनाव हुआ था। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार किसी भी सीट के खाली होने पर छह माह की अवधि में चुनाव करवाए जाने जरूरी हैं। आदपमुर में अब तक तीन उपचुनाव हुए। साल 1998 के उपचुनाव में कुलदीप बिश्रोई पहली बार विधायक बने। इसी तरह से साल 2008 में हुए उपचुनाव में चौधरी भजनलाल को जीत मिली तो साल 2011 के उपचुनाव में रेणुका बिश्रोई पहली बार विधानसभा में पहुंची।
8 वर्ष में हो चुके हैं तीन उपचुनाव
2014 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद प्रदेश में तीन उपचुनाव हो चुके हैं। भाजपा के पहले शासनकाल में जनवरी 2019 में जींद में उपचुनाव हुआ। जींद की सीट इनैलो के विधायक हरिचंद मिढ़ा के निधन के बाद खाली हुई थी। जींद उपचुनाव में भाजपा ने मिढा़ के बेटे डा. कृष्ण मिढ़ा को टिकट दी और भाजपा ने यह उपचुनाव जीता। इसके बाद कांग्रेस के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन के बाद बरौदा सीट पर नवंबर 2020 में उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के इंदुराज नरवाल को जीत मिली। इसी तरह से जनवरी 2021 में अभय ङ्क्षसह चौटाला ने ऐलनाबाद सीट से त्यागपत्र दे दिया। अक्तूबर 2021 में ऐलनाबाद में हुए उपचुनाव में अभय ने जीत दर्ज की।
पहले चुनाव में एच. सिंह बने विधायक
चुनाव-दर-चुनाव नजर डालें तो 1967 के पहले चुनाव में कांग्रेस के एच. सिंह ने 16955 वोट हासिल करते हुए 251 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। आदमपुर के पहले चार चुनावों में आजाद उम्मीदवार ही मुकाबले में रहे। 1968 के विधानसभा चुनाव में चौधरी भजनलाल ने 23,723 वोट हासिल करते हुए आजाद उम्मीदवार बलराज ङ्क्षसह को 10044 वोटों के अंतर से पराजित किया।
देवीलाल, सुरेंद्र सिंह, रंजीत चौटाला, संपत सिंह, जयप्रकाश और गणेशी लाल हो चुके पराजित
आदमपुर की राजनीति का इतिहास काफी रोचक है। यहां भजनलाल का परिवार पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल, पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के छोटे भाई एवं गठबंधन की सरकार में बिजली व जेल मंत्री चौधरी रणजीत चौटाला, पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह, ओड़िसा के मौजूदा राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल को चुनाव हरा चुका है। इनमें से अधिकतर प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल ने स्वयं चुनाव लडक़र हराए हैं। खास बात यह है कि 1972 के विधानसभा चुनाव में चौधरी देवीलाल ने भजनलाल के सामने आजाद उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकी। कांग्रेस से उ मीदवार भजनलाल ने 28928 वोट लेते हुए चौधरी देवीलाल को 10961 मतों के अंतर से पराजित कर दिया।
भजनलाल को अयोग्य करार देने पर दूसरा उपचुनाव 2008 में हुआ
मई 2008 में आदमपुर सीट पर दूसरा उपचुनाव हुआ। तत्कालीन हुड्डा सरकार के दौरान भजनलाल को विधानसभा स्पीकर रघुबीर सिंह कादयान ने दल बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था, क्योंकि उन्होंने दिसंबर 2007 में हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के खिलाफ हजकां नाम से पार्टी बना ली थी। उस उपचुनाव में हजकां से चुनाव लड़ते हुए भजनलाल ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में देवीलाल के छोटे पुत्र और ओमप्रकाश चौटाला के छोटे भाई रंजीत चौटाला तथा इनेलो प्रत्याशी के रूप में प्रो. संपत सिंह को हराया था।