कुलदीप की सदस्यता हुई रद्द तो होगा चौथी बार उपचुनाव
फतेहाबाद, 18 जुलाई। हरियाणा में इन दिनों आदमपुर विधानसभा की सीट चर्चा का विषय बनी हुई है। सियासी गलियारों में यह चर्चा आम है कि क्या आदमुपर में विधानसभा का उपचुनाव होगा। राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ वोटिंग करने के बाद कांग्रेस हाईकमान आदमुपर के विधायक कुलदीप बिश्रोई को संगठन में तमाम पदों से निष्कासित कर चुकी है। निष्कासन के बाद कुलदीप बिश्नोई भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा के साथ मुलाकात कर चुके हैं। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कुलदीप बिश्रोई भाजपा में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द भी हो सकती है। अगर ऐसा होता है आदमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की नौबत आ सकती है। अगर ऐसा होता है तो आदमुपर के इतिहास में यह चौथा उपचुनाव होगा। विशेष बात यह है कि साल 1998 में कुलदीप बिश्रोई आदमपुर में हुए उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। खास बात यह है कि 2005 में चौधरी भजनलाल आदमपुर से विधायक चुने गए थे। 2007 में भजनलाल और कुलदीप ने हजकां का गठन कर लिया। इसके बाद भजनलाल की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी। इसके बाद जून 2008 में आदमपुर में उपचुनाव हुआ और उस उपचुनाव में भजनलाल विधायक चुने गए। साल 2011 में भजनलाल का निधन हो गया। भजनलाल उस समय हिसार से सांसद थे जबकि कुलदीप आदमपुर से विधायक। कुलदीप ने आदमपुर से त्यागपत्र देते हुए हिसार लोकसभा से चुनाव लड़ा। ऐसे में दिसंबर 2011 में आदमपुर में उपचुनाव हुआ। उस उपचुनाव में कुलदीप बिश्रोई की पत्नी रेणूका बिश्रोई ने ताल ठोकी और पहली बार विधायक बनने में कामयाब रही। ऐसे में अब तक आदमपुर में तीन उपचुनाव पहले ही हो चुके हैं।
दरअसल आदमपुर विधानसभा सीट से 1967 से लेकर 2019 तक 13 सामान्य जबकि 3 उपचुनाव हुए। आदमपुर विधानसभा सीट के अब तक सियासी सफर में 16 चुनाव में 15 बार भजनलाल परिवार को जीत मिली। यह अपने आप में एक अनूठा रिकॉर्ड है। आदपमुर से भजनलाल खुद 9 बार विधायक रहे। 1 बार उनकी पत्नी जसमा देवी विधायक चुनी गईं। 4 बार कुलदीप बिश्रोई विधायक बने। एक बार रेणुका बिश्रोई भी विधायक निर्वाचित हुईं। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है कि एक सीट पर पहले पिता और मां विधायक बने। उसके बाद बेटा और उनकी पुत्रवधु भी विधायक चुने गए।