फतेहाबाद वैक्सीनेशन में तीसरे नंबर पर, नूंह में ज्यादा बर्बाद हुई वैक्सीन
चंडीगढ़। प्रदेश में जहां एक ओर कई जगहों पर वैक्सीन की कमी के कारण मारामारी मची हुई है वहीं कई क्षेत्रों में वैक्सीन की बर्बादी भी हो रही है। नूंह जिला कोविड-19 से बचाव की वैक्सीन की बर्बादी के मामले में शीर्ष पर है। इस जिले में 11.8 फीसद वैक्सीन बर्बाद हुई है। वैक्सीन की बर्बादी के मामले में जिला नूंह के बाद हिसार 11.4 फीसद और पलवल जिला 10.4 फीसद डोज की बर्बादी के साथ दूसरे व तीसरे स्थान पर है। गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जिले अंबाला में वैक्सीन की बर्बादी नाममात्र की है।
गृह एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी। सरकार के मुताबिक नूंह जिला वैक्सीनेशन के लिहाज से भी राज्य में सबसे निचले पायदान पर है। नूंह जिले में केवल 58 हजार 942 व्यक्तियों ने ही टीका लगवाया है। नूंह के बाद दूसरे नंबर पर चरखी दादरी है, जहां एक लाख 10 हजार 114 लोगों का टीकाकरण हुआ है। फतेहाबाद जिला तीसरे नंबर पर है। यहां एक लाख 27 हजार 327 व्यक्तियों ने टीकाकरण कराया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि 18 से 44 वर्ष की आयु वर्ग के लिए राज्य सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं को 66 लाख खुराक के लिए आर्डर दिया है। यह वैक्सीन राज्य को किस्तों में मिलेगी। 16 मई को हरियाणा में चार लाख 23 हजार 480 टीकों का भंडारण था।
राज्य में वैक्सीन की अधिक बर्बादी पर राजीव अरोड़ा ने अपने जवाब में कारण बताते हुए कहा कि शीशी का टूटना, खुली शीशी रह जाना, दोषपूर्ण सीरिंज, लोगों द्वारा ऐन मौके पर टीका लगवाने से इन्कार कर देना और केंद्र पर आने के बावजूद झिझक में टीका न लगवा पाने की वजह से वैक्सीन खराब होती है। टीकाकरण के शुरुआती दौर में 20 खुराक वाली शीशियां हरियाणा को मिली थी। एक बार शीशी खुलने के बाद उसे चार घंटे के भीतर उपयोग करना होता है, जिसके बाद शेष को फेंक देने का काम मजबूरी में करना पड़ता है।