Saturday, April 12, 2025
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किसके ‘काले चिट्ठे’ किसको नहीं मालूम!

ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पवन बैनीवाल, भाजपा प्रत्याशी गोबिंद कांडा और इनेलो के अभय चौटाला चुनाव प्रचार में भले ही वोटरों को लाख रिझाने की कोशिशों में जुटे हों, लेकिन ऐलनाबाद के वोटर का दर्द कोई समझा हो, फिलहाल ऐसा दिख नहीं रहा

Ellenabad Election 25-10-21

ऐलनाबाद। उपचुनाव हो और चारों ओर इतना ‘सन्नाटा पसरा हो, यह ऐलनाबाद के इस उपचुनाव में पहली बार देखने को मिल रहा है। हर पार्टी ने भले ही अपने धुरंधर खिलाड़ी मैदान में उतार रखे हों लेकिन उनकी ‘ग्राउंड परर्फोमेंस देखने में जनता की बिलकुल भी दिलचस्पी महसूस नहीं हो रही। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अभय चौटाला और पवन बैनीवाल की हकीकत को यहां का वोटर इतने करीब से जानता है कि उसे किसी के ‘भाषण’ सुनने की जरूरत नहीं है। और रही बात बीजेपी केंडीडेट गोबिंद कांडा की तो वह ऐलनाबाद में भले ही नये चेहरे पर हों लेकिन साथ लगती सिरसा विधानसभा सीट पर उनकी भाई गोपाल कांडा को पूरे देश की तरह ऐलनाबाद के वोटर भी अच्छे से पहचानते हैं। अब, ऐलनाबाद में हालात ऐसे बने हुए हैं कि देश के बड़े से बड़े राजनीतिक चिंतक को भी शायद यह समझ न आए कि आखिर इन परिस्थितियों में वोटर करे तो आखिर क्या करे! शायद, इसलिए वह चुप है, बिलकुल खामोश है। इसी कारण सभी ‘बाहुबलियों’ की धड़कनें भी तेज हैं। हों भी क्यों नहीं, क्योंकि इस बार ‘कुछ भी’ हो सकता है।

ऐलनाबाद विधानसभा सीट आज तक कभी भी ‘हॉट सीट’ किसी भी पार्टी को नहीं लगी। क्योंकि, यह एक आम धारणा बनाई गई कि यह सीट ‘चौटालाओं’ का गढ़ है। आमतौर पर इस धारणा के ‘चक्रव्यूह’ में आम आदमी की सोच को इतना ‘बांध’ दिया जाता है कि उससे बाहर जा कर सोचने की वह हिम्मत ही नहीं कर पाता। हालांकि, ऐसा नहीं कि यह मसला सिर्फ ऐलनाबाद सीट का हो। पूर्व मुख्यमंत्रियों भूपेंद्र सिंह हुड्डा, स्व.बंसीलाल, स्व.भजन लाल सहित हरियाणा की सियासत में बहुत से ऐसे नाम हैं, जिन्होंने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों पर ‘एकछत्र राज किया है। अगर, इस उदाहरण को भी आधार मान लें तो उन सभी नेताओं ने सत्ता में रहते अपने-अपने इलाके के लिए किया भी बहुत कुछ। किंतु, ‘चौटालाओं’ ने अपने गढ़ ऐलनाबाद में ऐसा कुछ किया हो, जिसने इलाके की तकदीर बदल दी हो, किसी को भी याद नहीं है। हां, वह यह जरूर किया है कि दशकों बाद आज भी ‘चौटालाओं’ के सामने खड़े हो कर आम आदमी कुछ बोल पाने की ‘जरुरत’ नहीं कर सकता।

खैर, मुद्दे की बात यह है कि ऐलनाबाद का आम बाशिंदा बरसों-बरस से एक ‘बंधी-बंधाई’ राजनीतिक खाई से निकलने को छटपटा तो रहा है लेकिन अपना दर्द किसी को कह नहीं पा रहा। कहे भी आखिर किसे, उसे सब के सब ‘एक जैसे’ ही दिख रहे हैं। ऐलनाबाद की तस्वीर को ठीक से समझने का प्रयास करते हैं। कांग्रेस, इनेलो और भाजपा की मौजूदा और पहले की छवि का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि बीते कुछेक ही सालों में हरियाणा की राजनीति में हैरतंगेज तरीके से बहुत कुछ बदला है लेकिन ऐलनाबाद में कुछ भी क्यों नहीं बदल सका।

दशकों से ऐलनाबाद में कांग्रेस को सींचने वाले भरत सिंह बैनीवाल दड़बा से एक बार तो विधायक बन गये लेकिन उसके बाद उन्होंने जितने भी चुनाव लड़े, हार गये। भरत सिंह पहले दड़बा और अब तक ऐलनाबाद में कांग्रेस के ‘पर्यायवाची’ के तौर पर जाने-पहचाने और माने गये हैं। दंबगता में अभय सिंह चौटाला के सामने कोई डट सकता था तो वह भरत सिंह बैनीवाल थे। हालाँकि, इसी बीच चौटाला परिवार से छिटक कर अलग हुए पवन बैनीवाल ने भी बरसों-बरस ऐलनाबाद को यह जताया कि उनसे बड़ा दबंग इस इलाके में कोई नहीं है। वह बात अलग है कि इनेलो छोडऩे के बाद बीजेपी में रहने के बाद भी उनका ‘दिल’ कहीं नहीं लगा और अब कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। अब, इस पूरे ‘खेल’ में भरत सिंह बैनीवाल को कांग्रेस की ओर से नजरअंदाज किया जाना, वह बड़ी वजह है जिसके चलते पवन बैनीवाल अभी तक भी अपने चुनाव को ‘उठा’ नहीं पा रहे हैं। बेशक, पवन बैनीवाल का कमजोर होना बीजेपी को परेशान करेगा।

अब बात करते हैं बीजेपी के गोबिंद कांडा की। हुड्डा सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे गोपाल कांडा के भाई और सिरसा स्थित श्री तारा बाबा कुटिया के प्रमुख सेवक कहलाने वाले गोबिंद कांडा इससे पहले रानियां से चुनाव लड़ चुके हैं। मौजूदा बीजेपी सरकार में बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला से दो बार शिकस्त खा चुके गोबिंद को चुनाव की सभी बारिकियों की मालूमात है। गोपाल ‘प्लेयर’ हैं तो गोबिंद ‘गोल कीपर’। शायद, यही बड़ी वजह है कि बीजेपी ने गोबिंद कांडा पर दांव चला और उन्हें अपनी टिकट पर चुनावी रण में उतार दिया। कांडा बंधुओं के ‘खाते’ में बेशक ‘बदनामियां’ भी हैं और दंबगता भी लेकिन ऐलनाबाद हलके में चुनाव जीतने के लिए उनकी फेवर में यही बात है कि सत्तासीन भाजपा की ओर से लड़ रहे हैं और भाजपा विकास के वादे के साथ आगे बढ़ रही है।

बहरहाल, मूल बात पर लौटते हैं। और वह यह है कि ऐलनाबाद का वोटर आज की तारीख में जबरदस्त तरीके से कन्फ्यूज है। चुनावी रण में न तो पवन बैनीवाल को कम आंका जा सकता है, न ही गोबिंद कांडा को और न ही अभय चौटाला को। तीनों की ही हर ‘कहानी’ से हरेक वाकिफ है। वास्तव में जो ‘फंसा’ है, वह है ऐलनाबाद का आम आदमी। किस पर किस आधार पर भरोसा करे, यह पैमाना उसके लिए बड़ा जटिल हो चला है। अभी वोटिंग में 6 दिन बाकी हैं। तस्वीर साफ तो होगी, पर धीरे-धीरे।

RK Sethi
RK Sethi
Editor, Daily Jan Sarokar 📞98131-94910
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