चौधरी भजनलाल के करवाए हुए विकास के नाम पर वोट मांग रहे कुलदीप बिश्नोई को इतना जोर अबतक किसी चुनाव में नहीं आया, जितना इसमें आ रहा है। इसका एक ही कारण है कि लोगों से दूरी बनाए रखना, विकास की बात भूल जाना और आदमपुर की आवाज न उठाना

जन सरोकार ब्यूरो।
आदमपुर।
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कुलदीप बिश्नोई चुनाव घोषित होने से पहले बड़ी जीत के दावे करने लगे थे, तीन दिन पहले तक भी उनकी जुबान पर बड़ी जीत का ही दावा था, लेकिन पिछले तीन दिन से भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र द्वारा जिस प्रकार से चुनाव को उठाया गया है, उसने कुलदीप बिश्नोई के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि सालों-साल से कभी भजनलाल के नाम तो कभी परिस्थितिवश जितने वाले कुलदीप बिश्नोई चुनाव प्रबंधन में कुशल नहीं हैं। और हों भी कैसे, क्योंकि इसकी उन्हें कभी जरूरत ही नहीं पड़ी। पिछले 17 साल से लोगों की आवाज नहीं उठाने का नुकसान होते हुए आज जब कुलदीप अपनी आंखों से देख रहे हैं तो उनके मन में एक बात जरूर आती होगी कि लोकतंत्र में जनता को “बंधुआ” समझकर आंखें मूंद लेना कितना घातक हो सकता है। अपने वर्षों पुराने गढ़ में सेंध लगती देख कुलदीप बिश्नोई को यह समझ नहीं आ रहा है कि लगातार टूटते वोटों को वे पहले किस एरिया से रोकें ताकि भव्य किसी भी तरह से यह चुनाव जीत जाए। एक तरफ कुलदीप के सामने चुनौती है कि जाट लैंड में सेंध लगाकर विकास के नाम पर वोट लेना तो वहीं वर्षों से उनके परिवार को वोट देते आए उन लोगों को मनाना जो कुलदीप से खफा चल रहे हैं। इन दोनों बातों के बीच में फंसे कुलदीप यह नहीं समझ पा रहे हैं कि इनमें से कौन सा काम अधिक करने से उन्हें फायदा होगा। इसके अलावा, कुलदीप बिश्नोई के पास लोगों को गिनवाने के लिए ऐसे काम ही नहीं है जो उन्होंने अपने समय में आदमपुर के लिए किए हों। कुलदीप शुरू से लेकर अब तक सिर्फ चौधरी भजनलाल के करवाए हुए विकास कार्यों के नाम पर वोट मांगते आए हैं। उधर, जेपी सिर्फ 14 महीने में आदमपुर की बदहाली दूर करने की बात कह रहे हैं तथा यह भी कह रहे हैं कि भजनलाल परिवार को इतने साल दिए, उन्हें अगर 14 महीने भी मिले तो विपक्ष में रहते हुए भी आदमपुर के काम करवा देंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आदपुर के उपचुनाव में अपने बेटे भव्य बिश्नोई की आसान जीत मान रहे कुलदीप बिश्नोई की हालत इस कदर खराब हो चुकी है कि अब उन्हें सिर्फ मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कल होने वाली रैली से ही कुछ उम्मीदें बची हैं। अब देखना होगा कि सीएम मनोहर लाल के आने से कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे भव्य को कोई राहत मिलती है या नहीं। जो भी हो, लेकिन अंतिम फैसला आदमपुर की समझदार जनता को करना है जो सबकुछ बड़े आराम से ना सिर्फ देख रही है बल्कि बड़े नजदीक से महसूस भी कर रही है।